NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति - GMS - Learning Simply
Students' favourite free learning app with LIVE online classes, instant doubt resolution, unlimited practice for classes 6-12, personalized study app for Maths, Science, Social Studies, video e-learning, online tutorial, and more. Join Telegram

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति is part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति.

BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHindi Kshitiz
ChapterChapter 17
Chapter Nameसंस्कृति
Number of Questions Solved18
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति

प्रश्न 1.
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर-
लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई। क्योंकि लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। वे इनके अर्थ को जाने-समझे बिना मनमाने ढंग से इनका प्रयोग करते हैं। इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक विशेषण लगाकर इन्हें और भी भ्रामक बना देते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने-अपने विवेक से लगा लेते हैं। इससे स्पष्ट है कि इन शब्दों के सही अर्थ की समझ अब तक नहीं बन पाई है।


प्रश्न 2.
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर-
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है क्योंकि इससे मनुष्य की जीवन शैली और खानपाने में बहुत बदलाव आया। दूसरे मनुष्य के पेट की ज्वाला अधिक सुविधाजनक ढंग से शांत होने लगी। इससे उसका भोजन स्वादिष्ट बन गया तथा उसे सरदी भगाने का साधन मिल गया। इसके अलावा प्रकाश और आग का भय दिखाने से जंगली जानवरों के खतरे में कमी आई। आग ने मनुष्य के सभ्य बनने का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसकी खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत पेट की ज्वाला, सरदी से मुक्ति, प्रकाश की चाहत तथा जंगली जानवरों के खतरे में कमी लाने की चाहत रही होगी।

प्रश्न 3.
वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकना है?
उत्तर-
वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा तन ढंका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठता है। वह अपने विवेक और बुधि से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है और समाज को अत्यंत उपयोगी आविष्कार देकर उसकी सभ्यता का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरणार्थ न्यूटन संस्कृत व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। इसी तरह सिद्धार्थ ने मानवता को सुखी देखने के लिए अपनी सुख-सुविधा छोड़कर जंगल की ओर चले गए।

प्रश्न 4.
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर-
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत संबंधी नए तथ्य का दर्शन किया और इस सिद्धांत की खोज किया। नई चीज़ की खोज करने के कारण न्यूटन संस्कृत मानव था।

कुछ लोग जो न्यूटन के पीढ़ी के हैं वे न्यूटन के सिद्धांत को जानने के अलावा अन्य बहुत-सी उन बातों का ज्ञान रखते हैं जिनसे न्यूटन सर्वथा अनभिज्ञ था, परंतु उन्हें संस्कृत मानव इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने न्यूटन की भाँति किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया। ऐसे लोगों को संस्कृत मानव नहीं बल्कि सभ्य मानव कहा जा सकता है।

प्रश्न 5.
किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर-
सुई-धागे का आविष्कार जिन दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया गया वे हैं

  • अपने शरीर को शीत और उष्ण मौसम से सुरक्षित रखने के लिए कपड़े सिलने हेतु।
  • मनुष्य द्वारा सुंदर दिखने की चाह में अपने शरीर को सजाने के लिए क्योंकि इससे पूर्व वह छाल एवं पेड़ के पत्तों से यह कार्य किया करता था।

प्रश्न 6.
“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर-
(क) समय-समय ऐसी कुचेष्टाएँ की गईं जब मानव-संस्कृति को धर्म और संप्रदाय में बाँटने का प्रयास किया गया। कुछ असामाजिक तत्व तथा धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का प्रयासकर मानव संस्कृति को बाँटने की कुचेष्टा की। इन लोगों ने अपने भाषणों द्वारा दोनों वर्गों को भड़काने का प्रयास किया। इनके त्योहारों पर भी एक-दूसरे को उकसाकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का प्रयास किया। वे मस्जिद के सामने बाजा बजाने और ताजिए के निकलते समय पीपल की डाल कटने पर संस्कृति खतरे में पड़ने की बात कहकर मानव संस्कृति विभाजित करने का प्रयास करते रहे।

(ख) मानव-संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना निहित है। इस संस्कृति में अकल्याणकारी तत्वों के लिए स्थान नहीं है। समय-समय पर लोगों ने अपने कार्यों से इसका प्रमाण भी दिया; जैसे

  1. भूखे व्यक्ति को लोग अपने हिस्से को भोजन खिला देते हैं।
  2. बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए माँ सारी रात गुजार देती है।
  3. कार्ल मार्क्स ने आजीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया।
  4. लेनिन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखों को खिला दिया।
  5. सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर-
संस्कृति का कल्याण की भावना से गहरा नाता है। इसे कल्याण से अलग कर नहीं देखा जा सकता है। यह भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कोई व्यक्ति जब आत्मविनाश के साधनों की खोज करता है और उससे आत्मविनाश करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी संस्कृति में जब कल्याण की भावना नहीं होती है तब वह असंस्कृति का रूप ले लेती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में। क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर-
लेखक द्वारा अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है।

संस्कृति – संस्कृत मानव द्वारा किया गया ऐसा कोई आविष्कार या नए तथ्य का ज्ञान, जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी होता है, उसे संस्कृति कहते हैं। संस्कृति त्याग की भावना से मजबूत एवं समृद्ध होती है। संस्कृति का संबंध मनुष्य के भीतर (मन) से है।

सभ्यता – संस्कृति का परिणाम सभ्यता कहलाता है। हमारे खान-पान का ढंग, जीने-मरने का तरीका, लड़ने-झगड़ने का ढंग, पहनने-ओढ़ने की कला आवागमन के साधन और ढंग सब हमारी सभ्यता है। यह मनुष्य की बाहरी वस्तु है।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1.
सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्द और भी भ्रामक कब बन जाते हैं?
उत्तर-
सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्द तब और भी भ्रामक बन जाते हैं जब इन शब्दों के साथ आध्यात्मिक, भौतिक विशेषण आदि जुड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति इनका अर्थ गलत-सलत हो जाता है।

प्रश्न 2.
आग के आविष्कारक को बड़ा आविष्कर्ता क्यों कहा गया है?
उत्तर-
आग के आविष्कारक को बड़ा आविष्कारकर्ता इसलिए कहा गया है क्योंकि आग के आविष्कार ने मनुष्य को सभ्य बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इससे एक ओर मनुष्य के पेट की ज्वाला शांत हुई तो दूसरी ओर उसे प्रकाश और ऊष्मा भी मिली।

प्रश्न 3.
संस्कृति और सभ्यता क्या हैं?
उत्तर-
संस्कृति एक संस्कृत मनुष्य की वह योग्यता प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति है जिसके बल पर वह किसी नए तथ्य का दर्शन करता है। इस संस्कृति के द्वारा समाज के लिए कल्याणकारी आविष्कार कर जाता है जो मनुष्य को सभ्य बनने में सहायता करता है वही सभ्यता है।

प्रश्न 4.
एक संस्कृत मानव और सभ्य मानव में क्या अंतर है?
उत्तर-
एक संस्कृत मानव वह है जो अपने ज्ञान एवं बुधि-विवेक से किसी नए तथ्य का दर्शन और आविष्कार करता है। इसके विपरीत सभ्य मानवे वह है जो इन आविष्कारों का उपयोग करके अपना रहना-सुधारता है और सभ्य बनता है।

प्रश्न 5.
न्यूटन से भी अधिक ज्ञान रखने वाले और उन्नत जीवन शैली अपनाने वाले को संस्कृत कहेंगे या सभ्य और क्यों?
उत्तर-
न्यूटन से भी अधिक ज्ञान रखने वाले और उन्नत जीवन शैली अपनाने वाले व्यक्ति को सभ्य कहा जाएगा क्योंकि ऐसा व्यक्ति न्यूटन द्वारा आविष्कृत गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के अलावा भले ही बहुत कुछ जानता हो पर उसने किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया है, बल्कि दूसरों के आविष्कारों का प्रयोग करते-करते सभ्य बन गया है।

प्रश्न 6.
संस्कृत व्यक्तियों के लिए भौतिक प्रेरणा का क्या महत्त्व है, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए?
उत्तर-
संस्कृत व्यक्तियों का सदा यही प्रयास रहता है कि वे अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य की खोज करें। इसमें भौतिक प्रेरणाओं का बहुत योगदान होता है। ऐसा व्यक्ति तन बँका और पेट भरा होने पर भी खाली नहीं बैठता है और भौतिक प्रेरणाओं के प्रति जिज्ञासु बना रहता है और इस जिज्ञासा को शांत करने में प्रयासरत रहता है।

प्रश्न 7.
सिद्धार्थ ने मानव संस्कृति में किस तरह योगदान दिया?
उत्तर-
सिद्धार्थ राजा शुद्धोदन के पुत्र थे जिनके पास सुख-सुविधाओं का विशाल भंडार था पर सिद्धार्थ को मानवता का दुख दुखी कर रहा था। उन्होंने इस दुखी मानवता के दुख के निवारणार्थ अपने सुख को ठोकर मारकर ज्ञान की प्राप्ति हेतु निकल पड़े जिसका लाभ उठाकर मनुष्य दुखों से छुटकारा पा सके।

प्रश्न 8.
संस्कृति के असंस्कृति बनने का तात्पर्य स्पष्ट करते हुए बताइए इस असंस्कृति का परिणाम क्या होगा?
उत्तर-
संस्कृति मनुष्य का सदा कल्याण करती है। जब संस्कृति से कल्याण की भावना समाप्त होती है तो वह असंस्कृति बन जाती है। संस्कृति मनुष्य को सभ्य बनाती है परंतु इस असंस्कृति का परिणाम यह होगा कि सर्वत्र असभ्यता का बोलबाला होगा जिससे मनुष्यता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।

प्रश्न 9.
संस्कृति का कूड़ा-करकट’ किसे कहा गया है?
उत्तर-
संस्कृति का कूड़ा-करकट उन सड़ी गली परंपराओं और कुरीतियों को कहा गया है जो समाज के विकास में बाधक सिद्ध होने के साथ ही मानवता हेतु अकल्याणकारी सिद्ध होती है तथा कुछ लोगों को दबाने का प्रयास करती हैं।

प्रश्न 10.
‘संस्कृति’ पाठ का उद्देश्य या उसमें निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘संस्कृति’ पाठ से स्पष्ट होता है कि ज्ञानी एवं बुद्धिमान लोगों द्वारा नए-नए आविष्कार करने की प्रेरणा उसकी संस्कृति है जिससे मानवता का कल्याण होता है। इसी संस्कृति का परिणाम सभ्यता है। संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना समाई होती है। मनुष्य को अपने कार्यों से कल्याण की भावना में कमी नहीं आने देना चाहिए। मनुष्य का सदा यही प्रयास होना चाहिए कि उसकी सभ्यता असभ्यता न बनने पाए।

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.